Monday, 15 July 2013

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प्राण ने उन्नाव के केशरगंज में हासिल की थी प्राथमिक शिक्षा | hindi samachar

उन्नाव [जासं]। कलम और तलवार की धरती उन्नाव से रुपहले पर्दे पर पांच दशकों तक राज करने वाले कृष्ण सिकंद उर्फ प्राण के निधन का समाचार सुनते ही शहर में शोक की लहर दौड़ गई। उन्नाव की गलियों में अपना बचपन बिताने और यहीं से अपनी प्राथमिक शिक्षा लेने वाले प्राण भले यहां लौटकर दोबारा नहीं आए हों, लेकिन उन्नाव के लोग आज भी उनको अपने से अलग नहीं कर पाए। साहित्यकारों ने इसे एक बड़ी हानि बताई।

फिल्म अभिनेता प्राण का उन्नाव से पुराना रिश्ता रहा है। यहां उनके पिता केवल कृष्ण सिकंद जूनियर इंजीनियर थे। 1920 में दिल्ली में जन्मे प्राण 1932 में पिता के साथ यहां आए थे। वह यहां के मोहल्ला कैथियाना में मोहन लाल श्रीवास्तव के मकान में किराए पर रहते थे। प्राण ने केसरगंज बेसिक विद्यालय में आठवीं तक की शिक्षा हासिल की थी। 1938 में यहां से उनके पिता का तबादला रामपुर हो गया था।

दो बार अपनी पाठशाला देखी

वैसे तो प्राण व उनके पिता दोबारा यहां नहीं रहे, लेकिन प्राण अपने उन्नाव को नहीं भूल पाए। इधर जब भी आए अपनी धरती जरूर देखी। फिल्म स्टार बनने के बाद वह दो बार उन्नाव आये थे। हालांकि उनका यहां आने का कोई प्रोग्राम नहीं था। वह लखनऊ शूटिंग में आये थे, लेकिन उसमें समय निकाल कर यहां आए और अपनी पाठशाला व जिस मकान में रहते थे उसे देखकर वापस हो गए।

उन्नाव की लेते रहे हाल चाल

प्राण का उन्नाव प्रेम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां के प्रसिद्ध गीतकार स्व. भगवत दत्त मिश्रा से जब मिलते केवल उन्नाव की बातें होती थीं। कवि अतुल मिश्रा ने बताया कि वह स्व. भगवत दत्त के साथ एक बार प्राण से मिलने गए थे, तो दोनों लोग उन्नाव में ही रम गए। जब उन्हें पता चला कि मैं भी उन्नाव से हूं, उनको लगा कोई अपना मिल गया। हमसे यहां की बातें करने लगे।

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